रायगढ़

सारंगढ़ रायगढ़ मे किसानों के हिस्से की खाद बेचकर लखपति बन गए समिति प्रबंधक ! नकद में बेची गई खाद की राशि भी गबन, तो रिकवरी हो रही है और न ही कोई कार्रवाई?

रायगढ़, खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए कलेक्टर रायगढ़ ने अधिकारियों को निर्देशित किया है। रायगढ़ जिला विभाजन से पहले ही दर्जन भर समितियों में किसानों का खाद निजी कारोबारियों को बेच दिया गया। नकद में बेची गई खाद की राशि भी गबन कर ली गई। अब न तो रिकवरी हो रही है और न ही कोई कार्रवाई। जबकि इस मामले में एफआईआर होनी चाहिए।

रायगढ़ जिले में खाद का खेल बहुत पुराना है। कृषि विभाग के संरक्षण में कारोबारियों ने कई समितियों को गिरफ्त में ले लिया है। हर साल रैक प्वाइंट से समिति जाने के रास्ते में ही कई निजी गोदामों में खाद उतर जाता है। कभी-कभी रातोंरात समिति के गोदाम से खाद पार हो जाता है। दरअसल किसानों के नाम पर खाद ऋण दिखाकर समिति प्रबंधक इसकी बिक्री नकद में कर देते हैं। निजी कारोबारी सब्सिडी वाले खाद पर थोड़ी ज्यादा कीमत देकर इसे खरीदते हैं। उदाहरण के तौर पर 266 रुपए प्रति बोरी वाली यूरिया को 300 रुपए में खरीदा जाता है।
जब खाद की किल्लत होती है तो कारोबारी इसी यूरिया को 400-600 रुपए में बेचता है। जब रुपए मिल जाते हैं तो प्रबंधक किसानों के ऋण एकाउंट में राशि जमा करवा देता है। मार्जिन की रकम उसकी जेब में जाती है। गड़बड़ी तब हो जाती है जब धान खरीदी के बाद शॉर्टेज आ जाता है। तब खाद की रकम से धान की भरपाई की जाती है। ऐसा ही रायगढ़, लैलूंगा, बरमकेला, पुसौर और सारंगढ़ की समितियों में किया गया है। ऐसी समितियों से अपेक्स बैंक को करोड़ों रुपए लेने हैं। गबन प्रमाणित होने के बाद उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं को कार्रवाई करनी थी। सरिया से 90 लाख, साल्हेओना 70 लाख, पंचधार 23 लाख, जतरी 70 लाख, बरदुला 40 लाख, गाताडीह, कोसीर, लैलूंगा आदि समितियों से वसूली की जानी है।

कार्रवाई ही नहीं करते डीआरसीएस

समितियों में खाद गबन की पुष्टि होने के बाद अपेक्स बैंक ने डीआरसीएस को कार्रवाई के लिए पत्राचार किया। अपेक्स बैंक ने भी जांच करके रिपोर्ट दे दी है लेकिन लाखों का गबन करने वाले प्रबंधकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे प्रबंधकों को वापस से समिति में पदस्थ किया गया। समितियों की फाइलें दबा दी गई हैं। अब कलेक्टर ने खाद की कालाबाजारी रोकने का आदेश दिया है।

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