रायगढ़: N R इस्पात की असँवैधानिक जनसुनवाई को लेकर सड़क पर उतरे लोग,जल,जीवन और जंगल बचाने की लड़ाई शुरू..

नितिन सिन्हा
रायगढ़- प्रदेश के सबसे प्रदूषित जिलों में शीर्ष पर बने रहने वाले रायगढ़ जिले में असंवैधानिक औद्योगिक जनसुनवाईयां जारी है।
जिनकी वजह से जिले की आबो-हवा पूरी तरह से जहरीली हो चुकी है। इतना ही नही जिले में अंधे- औद्योगीकरण से बेहिसाब सड़क हादसों का दौर भी चल निकला है। आए दिन जिले की सड़के किसी न किसी बेगुनाह इंसान के खून से लाल हो रही है। बात यही खत्म नही होती जिले में क्षमता से अधिक उद्योग स्थापना होने से जिले का 90 फीसदी प्राकृतिक या मानव निर्मित जल स्त्रोत /भंडार दूषित हो चुका है। दूसरे शब्दों में इन जल स्रोत्रों/भंडारों का पानी उपयोग हीन और विषैला हो चुका है। जिले का भू-गर्भ जलस्तर भी खतरनाक ढंग से नीचे आ चुका है। विशेषज्ञों की माने तो औद्योगीकरण का दुष्प्रभाव से भूगर्भ भी दूषित होने लगा है। उद्योगों में चलने वाली ओवरलोड भारी वाहनों की वजह से जिले की सड़क बद से बदत्तर हो चुकी है। आए दिन सड़क हादसों में लोगों की मौत होना आम घटना हो चुकी है। श्री शर्मा की माने तो जिले की पर्यावरणीय और भौगोलिक स्थिति और अधिक उद्योग स्थापना या विस्तार के लायक नही रही है। जिले कि आबोहवा इस कदर प्रदूषित हो चुकी है मानो प्रति मिनट एक व्यक्ति दर्जनो सिगरेट की कश ले रहा हो।
इन तमाम हालातों को भली-भांति जानते हुए भी जिला प्रशासन लगातार असंवैधानिक तरीकों से उद्योग स्थापना और विस्तार करने में लगा है। इसका दुष्परिणाम आम जन और पर्यावरण को भुगतना पड़ रहा है।सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जिले के अधिकांश जनप्रतिनिधियों ने भी पर्यावरण प्रदूषण को कभी गम्भीर समश्या नही माना है। वे अधिकांश मामलों में उद्योग पतियों के समर्थन में खड़े होते है।
*एन आर इस्पात की असँवैधानिक जनसुनवाई के खिलाफ सड़क की लड़ाई लड़ेंगे हम- राधेश्याम शर्मा*
बीते कल मां बंजारी मन्दिर तराई माल में सम्पन्न हुई एन आर इस्पात के औद्योगिक विस्तार के पर्यावरणीय जन सुनवाई के विरोध में सड़क पर दर्जनो ग्रामीण आ बैठे। विरोध कर्ता ग्रामीणों के द्वारा उद्योग प्रबन्धन और जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजियाँ की गई। उनकके साथ क्षेत्र में ख्यातिलब्ध सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शर्मा ने स्पष्ट शब्दों में कहा है। जब प्रशासन और हमारे जन प्रतिनिधि उद्योगपतियों के हाथों बिक चुके हो या राजनीतिक मजबूरियों में उनके समर्थक बन गए हो तो ऐसे हालात में जल,जंगल और जमीन सहित जीवन रक्षा की लड़ाई आम आदमी को ही लड़नी पड़ेगी।
रायगढ़ जिला के भ्रष्ट-उद्योगपतियों के साथ कलेक्टर भीम सिंह बैखौफ संविधान व पर्यावरण कानून का खुला उल्लंघन कर जिले को धूल-धुआँ में झोककर बीमारियों व मौत का गढ़ बनाने में सफल हैं।
जिले में प्रदूषण के संरक्षण वर्तमान सांसद गोमती साय,मंत्री उमेश पटेल,विधायक प्रकाश नायक, विधायक चक्रधरसिदार,विधायक लालजीत राठिया,विधायक उत्तरी जाँगड़े उद्योग प्रतिनिधि की भूमिका बखूबी निभा रहे है।
विपक्षी दलों के शीर्षस्थ नेता अपनी पारी के इंतजार में मौन व्रत का पालन कर रहे हैं। दुख इस बात का है कि आप और मेरे जैसी जनता ने जो इन जनप्रतिनिधियों को चुना है,उन्हें हमारी और पर्यावरण की समश्याओं से कोई लेना देना नही है। वे सभी निजी सुख-सुविधाओं रूपी कब्र के सौ फीट नीचे चैन से सो रहे है। हमसे किसी तरह वोट लेना ही उनका एकमात्र कर्तव्य है।
ऐसे में आप यह कह सकते है कि विगत 30 वर्षो से चुने हमारे महान जनप्रतिनिधियों के द्वारा बनाये
” सुग्घर रईगढ़ “में आपका हार्दिक स्वागत् है।
यहां अंधाधुंध औद्योगिकरण,जानलेवा प्रदूषण,सड़क र्दुघटनाओं में रोजाना होने वाली मौत बेहद आम बात हैं। आप यहां कुछ मिनट सांस लेकर आप विभिन्न तरीकों के विषैले औद्योगिक रसायन अपने शरीर के अंदर प्रवेश करवा सकते है।
फिलहाल मैं और मेरे जगरूक सांथी जिन्हें जिले के पर्यावरण और कीमती जीवन की चिंता है वो इस तरह की अवैधानिक-जनसुनवाईओं के विरोध में बंजारी धाम-रायगढ़ में धरने पर बैठ गया हूँ। मैं अपना अनिश्चित कालीन आमरण अनशन की घोषणा कर चुका हूँ। आने वाले समय मे हम आर्थिक नाकेबन्दी की योजना भी बना रहे हैं।अब या तो अवैधानिक जन सुनवाइयों पर रोक लगेगी या मेरे प्राण जिला प्रशासन लेगा।।
इधर एन आर इस्पात की जन सुनवाई के विरोध से वापस लौटे जन चेतना के राजेश त्रिपाठी ने कहा है कि इस उद्योग की जन सुनवाई भी पूरी तरह से अवैधानिक है। इनकी तमाम खामियों का हमने अध्ययन कर लिया है अब हम कानूनी तरीके से उद्योग प्रबन्धन और जिला प्रशासन के खिलाफ लड़ाई लड़ने जा रहे हैं। सड़क में जारी लड़ाई को भी हमारा पूरा समर्थन है।
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