छत्तीसगढ़ में नरूवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी योजना के तहत मिर्च की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रही महिला किसान…

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छत्तीसगढ़ की महत्वाकांक्षी नरूवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी योजना के तहत बाड़ी विकास से बलरामपुर जिले की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गौठान में सामुदायिक रूप से मिर्च की खेती कर रही हैं.

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इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है. एक समूह ने अभी तक पौने दो लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमा लिया है. जिले के टिकनी गौठान की निराला एवं गुलाब महिला स्वयं सहायता समूह के सदस्यों द्वारा गौठान के लगभग 1.50 एकड़ भूमि में मिर्च की खेती की जा रही है. खेती शुरू करने के पूर्व उन्हें बागवानी विभाग द्वारा अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान की गई.

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अधिकारियों ने महिलाओं को बाड़ी में मिर्च की जेके 46 पान की प्रजाति लगाने का सुझाव दिया. समूह की सदस्यों द्वारा ऋण लेकर मिर्च की खेती की गई. जिसमें गुलाब महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 12 हजार 840 रुपये एवं निराला स्व-सहायता समूह द्वारा 7530 रुपये की लागत से मिर्च की खेती की गई. अच्छी देखभाल एवं उद्यान विभाग के अधिकारियों के द्वारा दी गई सलाह पर अमल करते हुए अच्छी फसल प्राप्त हुई. बाजार में बिक्री करने पर गुलाब स्व-सहायता समूह को 92 हजार 980 रुपये और निराला स्व-सहायता समूह को 86 हजार 830 रुपये का मुनाफा मिला. लागत के मुकाबले यह अच्छा मुनाफा माना जाएगा.

व्यापारी बाड़ी में पहुंचकर खुद कर रहे हैं खरीद

समूह की महिलाओं ने बताया कि अभी तक उनके द्वारा चार बार मिर्च की तोड़ाई की गई है. आने वाले समय में चार से पांच बार मिर्च की तोड़ाई और की जा सकेगी. मौसम अनुकूल एवं मंडी में मिर्च की आवक कम होने पर और आमदनी प्राप्त होगी. समूह के सदस्यों ने बताया कि अंबिकापुर के थोक विक्रेता नियमित रूप से बाड़ी में पहुंचकर उनसे मिर्च की खरीदी करते हैं. जिससे उन्हें बाड़ी में ही मिर्च का उचित दाम मिल जा रहा है.

कम खर्च में मिल रहा अच्छा मुनाफा
महिला समूह की सदस्यों ने बताया कि बदलते सूचना तकनीकों से हम अब जागरूक हो रहे हैं. हमें मण्डी के भाव की जानकारी प्राप्त हो जाती है. जिसका लाभ हमें बाड़ी से उत्पादित फसलों को उचित दाम में विक्रय करने के लिए होता है. उन्होंने बताया कि आगामी शीत ऋतु में हम उद्यान विभाग की सहायता से मटर, गोभी, आलू आदि सब्जियों की खेती करेंगे. सरकार की यह पहल महिला किसानों को प्रोत्साहित करके उन्हें और सक्षम बनाने वाली है. मिर्च की सामुदायिक खेती से उनका खर्च कम लग रहा है और मुनाफा अच्छा हो रहा है. बेचने के लिए बाहर भी नहीं जाना पड़ रहा.

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